तनाव और उसका प्रबंधन।
तनाव प्रबंधन से पहले हमें यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि तनाव होता क्या है ?
और किन किन परिस्थितियों में लोगों को तनाव होता है ?
तनाव एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक संबंधी रोग है। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को तनाव हो सकता है और इसकी शुरुआत बाहरी वातावरण अथवा आन्तरिक मस्तिष्क से हो सकती है।
बाहरी वातावरण में जलवायु विषयक तत्व, भौतिक तत्व जैसे गर्मी, सर्दी, वायुमण्डलीय दवाब भी आते हैं । पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन भी इसमें सहायक होते हैं और यहाँ तक कि तनाव की शुरुआत कार्यस्थल से भी होती है ।
क्या आप जानते हैं कि भारत में मुख्य रूप से आत्महत्या करने वाले लोगों की औसतन उम्र 44 वर्ष से कम होती है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 36% भारतीय अपने जीवन में कभी न कभी तनाव से ग्रस्त होते हैं ।
हर 100 शहरी लोगों में से 3 व्यक्ति तनाव से ग्रसित होते हैं ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2005 से 2015 के बीच तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या में 18.4% की वृद्धि हुई है ।
भारत में वर्ष 2015 तक 5,66,75,969 लोग तनाव से ग्रस्त थे जो कि पूरी जनसंख्या का 4.5% हिस्सा थे ।
भारतीय सरकार का आंकलन है कि देश के हर 5 में 1 व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक सलाह की आवश्यकता है ।
तनाव के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू :
सकारात्मक तनाव को आयुर्विज्ञान की भाषा में यूस्ट्रेस कहा जाता है ।
यूस्ट्रेस किसी भी व्यक्ति की रचनात्मक और उत्पादकता क्षमता को बढ़ाता है ।
बिना तनाव के मनुष्य आलसी और असंतोषी हो सकता है ।
यदि यही तनाव अपनी सीमाओं को लाँघ जाए तो नकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करता है और आगे चल कर मनुष्य की कार्य-क्षमता में गिरावट आती है।
नकारात्मक तनाव से विभिन्न प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोग होते हैं और कुछ प्रमुखतः निम्नलिखित हैं :-
मधुमेह (डायबिटीज)
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर)
पेप्टिक अल्सर
हाइपर एसिडिटी आदि ।
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