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Showing posts from 2020

A Tale of Memory Techniques

Memory includes all the mental processes involved in acquiring, storing, retaining, and later retrieving information. The memory system as we know it is very simple and once we understand the way this system works, we can enhance the efficiency with which we utilise each aspect within it. Memory is broadly known to include the short-term memory and the long-term memory as a part of a dual model. The short-term memory (STM) is concerned with reproducing, recognising, or recalling a limited amount of material after a period of about 10 to 30 seconds and the long-term memory is a relatively permanent information storage system that enables one to retain, retrieve, and make use of skills and knowledge hours, weeks, or even years after they were originally learned. It is even believed that information stored in the long-term memory (LTM) is permanently stored in our memory and what we consider as “forgetting” is just failure to retrieve information from our long-term memory.  The main conce

महिलाओं की मनोवैज्ञानिक समस्याएं और काउंसिलिंग

भारत में महिलाओं की कई योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया है, जैसे - लिंग समानता , नारीवाद, महिलाओं के अधिकार इत्यादि। फिर भी भारत में आज भी पुरुषों और महिलाओं के बीच एक बड़ी मानसिक खाई है। इसलिए पुरुषों की मानसिक समस्याएं अलग हैं और महिलाओं की मानसिक समस्याएं अलग हैं। महिलाओं की काउंसिलिंग करते समय काउंसलर को विशेष ध्यान रखना पड़ता है। महिलाओं की समस्या वास्तव में कभी न खत्म होने वाला विषय है क्योंकि जीवन भर महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कई तरह के परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। महिलाओं को आज भी समाज में दुय्यम स्थान दिया जाता है- बस यही परिवर्तन अभी तक नहीं हुआ है।    सिमोन द बोव्हुआर की पुस्तक ‘द सेकेंड सेक्स’ से उपरोक्त बात स्पष्ट है। पुस्तक की शुरुआत में ही लेखिका ने एक वाक्य लिखा है कि ‘नारी पैदा नहीं होती है बल्कि बनाई जाती हैं’। मतलब इस पुरूषप्रधान समाज में नारी को बहुत सारी थोपी हुई समस्याओं से जूझना पड़ता है।   इसीलिए महिलाओं की काउंसिलिंग करते समय